क्या तीव्र असाता के उदय में धार्मिक बातें अच्छी नहीं लगतीं?

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शंका

एक कहावत है- “साँप डसा तब जानियो, रुचि सो नीम चबाय। मोह डसा तब जानियो, जिनवाणी न सुहाय। क्या तीव्र असाता के उदय में धार्मिक बातें बिल्कुल अच्छी नहीं लगतीं?

समाधान

असाता नहीं, जिनके दर्शन मोहनीय का तीव्र उदय होता है, जिनकी कषाय बहुत तीव्र होती हैं, उन्हें धर्म की बातें नहीं सुहातीं, उनको यह सब बातें बकवास लगती हैं। धर्म की बातें वे ही सुन पाते हैं जिनके कर्म बहुत ठंडे होते हैं, शान्त होते हैं। अपने आपको भाग्यशाली मानो कि तुम्हारे मन में धर्म श्रवण की इच्छा जगी है अन्यथा ये सुहाती नहीं।

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