द्रव्य वेद, भाव वेद आदि क्या एक जीवन में परिवर्तित होते हैं?

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शंका

द्रव्य वेद, भाव वेद आदि क्या एक जीवन में परिवर्तित होते हैं? सिद्धान्त कोष में लिखा पाया कि वह क्षण-क्षण में बदलता है, क्या यह सत्य है?

समाधान

आप सिद्धान्त कोष को देखने में शायद चूक कर गयीं। हमारे आगम में स्पष्ट लिखा है  “वेद कषाय की तरह अन्तर्मुर्हूत में परिवर्तित नहीं होते, उसका उदय जन्म से होता है।” जो भाव वेद जीवन के आदि क्षण में होता है, अन्त क्षण तक वही उदीयमान होता है।

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