क्या जीवन पर रंगों का प्रभाव पड़ता है?

150 150 admin
शंका

रंगों के प्रभाव व्यक्तियों की भिन्न-भिन्न रुचियों, उनकी धारणाओं को प्रदर्शित करते हैं और ज्योतिष के हिसाब से भी माना गया है कि व्यक्ति के मन और शरीर पर रंगों का प्रभाव होता है। अगर इस हिसाब से देखें तो व्यक्ति हर दिन अलग-अलग रंग के कपड़े पहने तो उसका क्या असर होगा?

समाधान

रंगों का अपना विज्ञान है और इस पर काफी शोध भी हुआ है। रंग पर आधारित चिकित्सा की पद्धति भी विकसित हुई है, धार्मिक क्रिया अनुष्ठानों में भी अलग-अलग तरीके से रंगों को महिमामंडित किया गया है। मैं एक बार शिखरजी की वन्दना कर रहा था, एक परिवार एकदम काले कपड़े पहन कर वन्दना कर रहा था। मैंने पूछा ‘भाई ये काले कपड़े क्यों पहने?’ बोले महाराज ऐसा कहा गया है कि ‘काले कपड़े पहन करके सम्मेद शिखर की वन्दना करो तो रोगमुक्त होंगे।’ फिर बोला ‘महाराज पीले पहनने से ऐसा होता है… , लाल पहनने से ऐसा होता है… , नीला पहनने से ऐसा होता है… , सफ़ेद पहनने से ऐसा होता है… , सबकी अपनी-अपनी व्याख्या कर दी, इन रंग के कपड़े पहनने से ये मिलता है… , इन रंग के कपड़े पहनने से ये मिलता है.।।’, तो मैंने कहा ‘बिना कपड़े पहने वन्दना करने से मोक्ष मिलता है, उसको क्यों नहीं देखते?’ उसकी तरफ हमारी दृष्टि होनी चाहिए। 

अब इसको थोड़ा सा देखें, इसके साथ जो विज्ञान है वो क्या? हमारे साथ जो कर्म जुड़े हैं वे पौदगलिक हैं। हर पुद्गल का अपना एक रंग है, तो कर्मों का भी रंग है। शुभ-अशुभ कर्मों के सबके प्रदेशों के रंग है, तो कर्म अपना प्रभाव छोड़ते हैं, कर्मों का अपना रंग होता है उसका प्रभाव होता है। हो सकता है उस तरह के वस्तुओं से, या उस तरह के कई रंग के बोतलों में पानी रख कर के भी लोग चिकित्सा करते हैं, तो हो सकता उनसे, उनके प्रभाव से इस तरह के पौद्गलिक स्कन्ध, उस रंग के पौद्गालिक स्कन्ध आगे बढ़ते हों और वे हमारे अन्दर एक नए रसायन को जन्म देते हों, उससे हमारे कर्म की दशा में कुछ अंशों में परिवर्तन हो। णमोकार मन्त्र के माध्यम से हम पंच वर्णों का स्मरण करते हैं, उसका हमारे स्वास्थ्य पर बेहद प्रभाव पड़ता हो, इसलिए रंग की उपयोगिता को नकार नहीं सकते हैं।

Share

Leave a Reply