क्या तीर्थंकर बालक की सब चीजें स्वर्ग से आती है?

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शंका

आगम ग्रंथों में कथन आता है कि बालक तीर्थंकर के लिए जो भी वस्त्र आभूषण आदि खाने- पीने की चीजें आती हैं, वह स्वर्ग से आती है, तो कौन से देव लाते हैं और एक बार भोगने के पश्चात फिर उन सभी चीजों का क्या होता है?

समाधान

ऐसा कहते हैं कि स्वर्ग में व्यवसायपूर्ण नामक एक स्थान है, जहाँ दिव्य निधियों का भंडार है। आधुनिक भाषा में मैं उसे स्वर्ग की मॉल (mall) समझता हूँ, सब चीजें वहाँ मिलती होगी, वहाँ से सब निधियाँ आती होंगी। कौन लेकर आता है इसका स्पष्ट उल्लेख मेरे पढ़ने में अभी तक नहीं आया। आचार्य पूज्यपाद ने जरूर लिखा – “अमरोपनीतभोगान सहसाभिनिवोघितोऽन्येधु:” – वो देवों के द्वारा लाए हुए भोगों का भोग करते हैं। उनका भोजन और उनका वस्त्र ये सब दिव्य होता है, देवों के द्वारा आता है लेकिन किस इन्द्र के निर्देश में, किस देव के माध्यम से आता है हो सकता है मेरा ध्यान नहीं गया हो, कहीं उल्लेख हो इस दृष्टि से मैंने पढ़ा नहीं हो लेकिन जहाँ तक मुझे स्मरण है, देव विशेष का उल्लेख नहीं है और यदि किसी को मिले जरूर बता दें।

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