व्रती, प्रवृत्ति और निवृत्ति में क्या अन्तर है?

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शंका

व्रती, प्रवृत्ति और निवृत्ति में क्या अन्तर है?

समाधान

हिंसा का त्याग करना निवृत्ति है और अहिंसा का पालन करना प्रवृत्ति है। एक ही व्रत में प्रवृत्ति भी है और एक ही व्रत में निवृत्ति भी है। हिंसा नहीं करना यह निवृत्ति है, अहिंसा का अनुपालन करना प्रवृत्ति है और यदि देखा जाए, व्रत व्रती के ध्यान में लीन होने पर परम निर्मिति की स्थिति में आ जाता है। आचार्य पूज्यपाद महाराज के सामने जब यह प्रश्न उठा, उन्होंने एक ही बात कही कि “बिना व्रताराधन के मोक्ष मार्ग की पुष्टि नहीं होती।” उन्होंने लिखा कि “वृतेषु परिनिष्ठित: साधु सुखेन संवर: करोति”, व्रतों में परिनिष्टित साधु, व्रत निष्ठित साधक अच्छे से संवर कर पाता है, तो परम निवृत्ति में जाने के लिए भी व्रत की महान भूमिका होती है।

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