शुद्धि एवं विशुद्धि में अंतर!

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शंका

शुद्धि और विशुद्धि में क्या अन्तर होता है?

समाधान

शुद्धि केवल बाहरी होती है और विशुद्धि आंतरिक होती है। कषायों की मंदता से उत्पन्न साता आदि शुभ प्रकृतियों के बन्ध के परिणाम का नाम विशुद्धि है और शुद्धि भाव, काय, विनय, ईर्यापथ आदि के भेद से आठ प्रकार की होती है। शुद्धि बाह्य भी होती है विशुद्धि आन्तरिक भी होती है। किसी व्यक्ति के पास शुद्धि ज़रूर होगी लेकिन, जिनके पास शुद्धि है उनके पास विशुद्धि हो भी सकती है, नहीं भी हो सकती है।

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