धर्म और अध्यात्म में अंतर? आत्मा का साक्षात्कार कैसे हो?

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शंका

‘धर्म’ और ‘अध्यात्म’ में क्या अन्तर है? आत्मा का साक्षात्कार कैसे किया जाये?

समाधान

मैं आपसे बस इतना ही कहना चाहता हूँ कि केला और उसके छिलके में क्या अन्तर है? छिलका उसके बाहर का आवरण है और गूदा उसके भीतर का तत्त्व है। धर्म बाहर का छिलका है और गूदा भीतर का अध्यात्म है। अध्यात्म का सुख पाने के लिए हमें धर्म का कवच पहनना पड़ता है। जब तक हम धर्माचरण नहीं करेंगे तब तक हम अपनी आत्मा में डूब नहीं सकेंगे। धर्म हमारी बाहरी क्रिया, आचार का नाम है और अध्यात्म हमारे विचारों के स्तर की परिणति का नाम है। अध्यात्म का अर्थ है आन्तरिक परिणति। दरअसल धर्म का आचरण भी उसी आध्यात्मिक उपलब्धि के लिए किया जाता है। बाहर का छिलका तब तक ही उपयोगी है जब तक गूदा हो। ये बात तय है कि छिलके के बिना गूदा सुरक्षित नहीं होगा और ये बात भी तय है कि जो मजा गूदे में है वह मजा छिलके में नहीं है। कल्याण धर्म से नहीं होता कल्याण अध्यात्म से होता है। धर्म में प्रवृत्ति है और अध्यात्म में निवृत्ति। सब छोड़कर अपने में डूबने का नाम अध्यात्म है और अशुभ को छोड़कर शुभ में प्रवृत्त होने का नाम धर्म है। 

आत्मा के साक्षात्कार का उपाय बड़ा सरल है। जितनों से साक्षात्कार है उसे बंद कर दो, आत्मा से साक्षात्कार अपने आप हो जायेगा। पर का साक्षात्कार छूटते ही स्व से साक्षात्कार होता है। 

एक बार मुझसे एक डॉक्टर ने कहा कि ‘महाराज जी! आप लोग अध्यात्म की बातें करते हो समझ में नहीं आती। आज साइंस का युग है बटन दबाते ही लाईट जलती है। (यह ३० साल पहले की बात है) ऐसी कोई आत्मा की व्यवस्था हो जिससे सीधे आत्मा से अनुभव होना चाहिए।’ हमने कहा, “डॉ. साहब आपका सायंस है और हमारा सुपर सायंस है; पर मेरे सवाल का जवाब दो।” बोले क्या? मैंने कहा कि ‘आप इस बात से कायम हो कि बटन दबाने से लाइट जलती है।’ बोले ‘हाँ महाराज! जलती है।’ मैंने कहा कि “यदि बल्ब फ़्यूज हो, तो क्या बटन दबाने से लाइट जलेगी?” फिर मैंने उनसे कहा कि “तुम्हारे बटन का सम्बन्ध स्विच से है और स्विच का कट आउट से है और कट आउट का सम्बन्ध मेनस्विच से है और मेनस्विच का सम्बन्ध मीटर से है और ग्रिड का पॉवर-स्टेशन से है। इस बीच कितने खम्भे हैं। एक खम्बा भी उखड़ गया तो लाइट जल सकती है क्या? फिर आप कैसे कह सकते हैं डॉ. साहब कि बटन दबाने से लाइट जलती है? बटन दबाने से लाइट तब जलती है जब सारा सिस्टम ठीक हो, कनेक्शन ठीक हो। बस वहाँ तो बटन पड़ता है। यहाँ तो सब ऑटोमेटिक सिस्टम है। बटन दबाने की भी जरूरत नहीं, कनेक्शन ठीक कर लो अपने आप इनसाइड की लाइट जल जायेगी और आत्मा का साक्षात्कार हो जायेगा।” इसलिए आत्मा का साक्षात्कार करने के लिए अलग से कुछ करने की जरूरत नहीं है। जो कर रहे हैं उससे छूटने की जरूरत है, अन्तर्मुख होने की जरूरत है, प्रवृत्तियों का नियंत्रण करने की जरूरत है।

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