शिखर जी पर ‘इस टोंक से इतने करोड़ मुनि मोक्ष गए’ ऐसा लिखा मिलता है। पर क्या वे एक साथ मोक्ष गए? और क्या तब जैनों की आबादी इतनी रही होगी?
आप यह बोलना चाह रहे हैं कि इतने करोड़ मुनि मोक्ष गए तो जैनियों की आबादी उस समय कितनी रही होगी? और पर्वत में जगह कहाँ है? आप चिन्ता मत करिए, ये जितने करोड़ मुनि मोक्ष गए हैं न, वो कितने वर्षों की बात है, पता है? बयालिस हजार वर्ष कम एक कोड़ा-कोड़ी सागर।
सागर क्या होता है? आगम की व्याख्या सुनाऊँगा तो कान खड़े हो जायेंगे, पर ये उपमा है। सागर को समझना है, तो एक उदाहरण से, स्थूल रूप से आपको समझाने के लिए बोल रहा हूँ, पर आगम में ऐसा नहीं लिखा। एक समुद्र में जितनी जल की बूंदें हैं उतने वर्ष, इतने का एक सागर; और ऐसे एक करोड़ सागर को एक करोड़ से गुणा करो तो एक कोड़ा-कोड़ी सागर होता है। इसलिए एक साथ इतने मुनि तो किसी काल में मोक्ष जा ही नहीं सकते।
आगम के अनुसार सम्पूर्ण मनुष्य लोक से, केवल सम्मेदशिखर से नहीं, सम्पूर्ण मनुष्य लोक से छह माह आठ समय में मात्र छह सौ आठ जीव ही मोक्ष जा सकते हैं, इसलिए चिन्ता करने की जरूरत नहीं है, परेशान होने की भी आवश्यकता नहीं है।
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