क्या व्यसनी व्यक्ति पूजन-अभिषेक कर सकता है?

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शंका

यदि कोई आदमी कोई नशा करता है; जैसे पान-मसाला, तम्बाकू, सिगरेट, शराब आदि। लेकिन मन्दिर जाकर देव दर्शन भी करता है, अभिषेक भी करता है, तो क्या ये सही है? इसमें उसको कितना पुण्य लगेगा?

समाधान

जो व्यक्ति व्यसन आदि बुराइयों में लिप्त होता है वो यदि भगवान का अभिषेक पूजन आदि करता है, तो निश्चित उसका व्यसन, उसकी बुराई गलत है, लेकिन जो अभिषेक, पूजन व वंदन का कार्य है वह अच्छा है। मेरी दृष्टि में उनको निषेध नहीं करना चाहिए अपितु ये भाव रखने चाहिए कि ‘भैया! अब अभिषेक-पूजन करने लगे हो तो कम से कम ये व्यसन बुराई तो छोड़ो! जिन हाथों से भगवान के सिर पर कलश करते हो, उन हाथों से शराब की बोतल उठाने में कुछ तो शर्म खाओ। अपने आप को बचाओ।’ 

उसको मन्दिर आने से मत रोको। उसको भगवान की महिमा का बोध कराओ। अभिषेक की महिमा का ज्ञान दो। और यदि वो ज्ञान उसे प्राप्त हो जायेगा तो मैं मानता हूँ कि जिस अन्तर्मन से भगवान के अभिषेक का कलश उठाया है, उसके हाथ से फिर दोबारा शराब की बोतल नहीं उठ सकती है। उसकी अँगुलियाँ कभी सिगरेट को नहीं पकड़ सकती है। उसकी हथेली में पाउच या गुटखा नहीं आ सकता है। हम उनको धिक्कारें नहीं; उनको पुचकार कर के समझायें और जिनेन्द्र भगवान की महिमा से अवगत करायें। उनका हृदय परिवर्तित होगा और जीवन निश्चित तौर पर सुधर जायेगा।

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