बिगड़ने और सुधरने में देश काल की परिस्थितियाँ निमित्त है क्या?

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शंका

जब विभीषण, रावण के राज्य में भी नहीं बिगड़े और कैकेई, रामराज्य में भी नहीं सुधरी फिर लोग विदेश में रहने वालों को आक्षेप देते हैं कि अमेरिका में बिगड़ जाओगे, ऐसा क्यों?

अक्षय जैन , USA

समाधान

देखिए बिगड़ने और सुधरने में देश काल की परिस्थितियाँ निमित्त हैं, नियामक नहीं। यदि मनुष्य की निष्ठा अच्छी हो तो विरुद्ध देश काल में भी सँभल सकता है और अगर निष्ठा कमजोर हो तो अनुकूल देश काल में भी भटक सकता है। 

कैकेई की मति भ्रष्ट हुई मंथरा की प्रेरणा से, तो रामराज्य भी उनके लिए बाधक बना और विभीषण के मन में सम्मति आई जो उसकी निष्ठा का प्रतिफल था कि रावण के राज्य में रहते हुए, लंका में रहते हुए भी वह सन्मार्ग पर लग गया। 

जो लोग अमेरिका जाते हैं उनसे मैं यह नहीं कहता कि अमेरिका मत जाओ बल्कि मैं तो कहता हूँ कि धर्मी जीवोंं को सारे विश्व में फैलना चाहिए ताकि सारे विश्व में जैन धर्म जाए, जैन धर्म की प्रभावना हो। लेकिन मजबूत बनकर इस भाँति जाओ कि आपका वहाँ असर हो, वहाँ का असर आप पर न हो। यदि आप इतने मजबूत हो, आपकी निष्ठा गहरी है, तो कोई कहीं जाएँ कोई दिक्कत नहीं। 

आज मुझे बहुत प्रसन्नता है कि वहाँ रहने वाले ऐसे लोग भी हैं, जो रात्रि में चारों प्रकार के आहार नहीं करते, फाइव स्टार होटलों में पानी तक नहीं पीते हैं, शुद्ध खान-पान करते हैं तो मैं ऐसे लोगों का वहाँ जाना कैसे गलत कहूँगा। जिन के आचार में, विचार में, व्यवहार में अहिंसा घुली हुई है और जो अपने जीवन की मर्यादाओं को सुरक्षित रखे हुए हैं, वे दुनिया के किसी भी कोने में जाएँ हमारी तरफ से कोई परहेज नहीं है।

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