क्या सेना में गोलीबारी करने वाले जैन श्रावक पाप के भागीदार है?

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शंका

जैन कुल में पैदा हुआ बच्चा जब आर्मी में जाता है वहाँ उसे अपने बचाव के लिए firing (गोली बारी) भी करनी पड़ती है। यदि उसमें किसी की मौत होती है, तो वो किस हद तक पाप का भागीदार है?

शकुंतला पांडेय, लाडनू

समाधान

जैन धर्म में गृहस्थ के लिए ऐसा कहा गया है कि वो army (सेना) में जाएँ और देश की रक्षा करें, यह भी उसका धर्म है। अगर कोई सीमा पर बैठा हुआ जवान देश की सुरक्षा के लिए किसी की हत्या भी करता है, तो वो उसके लिए क्षम्य है। वह उसके लिए विरोधी हिंसा है। जैन धर्म में विरोधी हिंसा को भी गृहस्थ के लिए अहिंसा कहा है।

अपने सत्व, स्वामित्व, अस्तित्त्व और अस्मिता की रक्षा के लिए यदि कोई अस्त्र उठाता है, तो वह उसके द्वारा किया जाने वाला पाप नहीं अपितु धर्म है। रामचंद्र जी ने रावण को सबक सिखाने के लिए अस्त्र उठाया, वह पाप नहीं किया अपितु अपने धर्म का पालन किया। यह क्षत्रिय धर्म है। 24 तीर्थंकरों ने या कई चक्रवर्तियों ने दिग्विजय यात्राएँ की और स्वेच्छाचारी राजाओं के कुशासन को कुचल कर सम्पूर्ण भारतवर्ष को एक सूत्र में बाँधने का सत्प्रयास किया। ये हिंसा नहीं है ये एक प्रकार की अहिंसा है वस्तुतः “हिंसा की नहीं है, हिंसा करनी पड़ रही है” और हिंसा के लिए हिंसा नहीं है, अहिंसा के लिए हिंसा है।

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