भारत में धर्म है पर विकास नहीं, विदेशों में धर्म नहीं फिर भी विकास कैसे?

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शंका

इंसान बड़ा है या धर्म? आज धर्म के नाम पर लोग एक दूसरे को मार रहे हैं? भारत में धर्म है लेकिन अधर्म ही अधर्म फैल रहा है, यहाँ पर कोई विकास भी नहीं है; और बाहर के देशों को देखें, तो विकास ही विकास है, लोगों के पास दिमाग भी बहुत है, परंतु कोई धर्म नहीं है?

समाधान

इंसान के लिए धर्म है, धर्म के लिए इंसान और सच्चे अर्थों में पूछा जाए तो इंसानियत ही बहुत बड़ा धर्म है बल्कि सबसे बड़ा धर्म है। प्रारम्भिक भूमिका में हमें इसी धर्म को अपनाना चाहिए। 

जहाँ तक धर्म के नाम पर हिंसा, हत्या और रक्तपात की बात है वह धर्म के कारण नहीं, धर्मांधता के कारण है। जहाँ हिंसा, हत्या या रक्तपात है उसे तो धर्म कभी मानना ही नहीं चाहिए, वह बहुत बड़ा अधर्म है उससे बचना चाहिये। 

तुमने पूछा है कि पश्चिम के देशों में हयूमन डेवलपमेंट (मानव विकास) बहुत है और वहाँ धर्म नहीं है, तो क्या हम उनका अनुकरण न करें? शायद तुम्हारे पूछने का आशय यही होगा। मानव विकास का मतलब क्या है? ह्यूमन डेवलपमेंट का मतलब केवल यह नहीं है कि मनुष्य के जीवन के आधारभूत सुविधाओं को बढ़ाया जाए। सच्चे अर्थों में ह्यूमन डेवलपमेंट भारत में ही देखा जाता है। एक्चुअल ह्युमन डेवलपमेंट (वास्तविक मानव विकास) क्या है- उसका वर्चुअल डेवलपमेंट, उसका गुणात्मक विकास, वह चित्त का शुद्धिकरण कर सके- यह केवल धर्म के बदौलत होता है। 

पश्चिम में मनुष्य बौद्धिक संसाधनों से संपन्न है लेकिन पश्चिम के लोग जितने त्रस्त और परेशान हैं, भारत के लोगों के साथ ऐसा नहीं। जितना ज़्यादा स्ट्रेस उन लोगों को है भारत में नहीं है, जितनी ज़्यादा आत्महत्याएँ वहाँ होती हैं, भारत में नहीं, क्यों? उन्होंने भौतिक संसाधनों को बढ़ाकर अपने आपको समर्थ बना लिया लेकिन अपने जीवन में स्थिरता लाने का कोई पुरुषार्थ नहीं किया, मन को पवित्र बनाने का कोई रास्ता नहीं चुना, मनोबल को मजबूत बनाने की कोई शक्ति नहीं पाई, यह सारी शक्तियाँ मिलती है धर्म से, जो उनके पास नहीं था। उन्होंने केवल ह्यूमन डेवलपमेंट( मानव विकास) तक ही अपने आप को सीमित किया, ह्युमनिटी (मानवीयता) तक ही अपने आप को सीमित किया पर प्योरिटी ऑफ सोल (आत्मा की शुद्धता) पर अगर ध्यान दिया जाता to यह दुविधायें नहीं होती। धर्म हर व्यक्ति के प्यूरीफिकेशन (शोधन) की बात करता है, हर मनुष्य के शुद्धिकरण की बात करता है जिससे मनुष्य के अन्दर मजबूती आती है, स्थिरता आती है, शांति आती है, प्रसन्नता आती है।

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