साधु की समाधि के बाद हमें रोना आता है, क्या करें?

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शंका

जब किसी साधु से हम जुड़े हुए हों, और उनकी समाधि हो जाती है, तो बाद में बहुत याद आती है और रोना भी आता है। एसे में शुभ कर्म का बन्ध होता है या अशुभ कर्म का?

समाधान

रोना नहीं चाहिए, उनके आदर्शों को याद करके उस रास्ते पर चलने का प्रयास करना चाहिए। रोने से तो अशुभ कर्म का ही बन्ध होगा। 

अगर आप साधु से जुड़ी हैं तो और भी नहीं रोना चाहिए क्योंकि साधु तो हमको यही मार्ग सिखाते हैं कि सुख में, दुःख में, जीवन में, मरण में, संयोग मे, वियोग में, हानि में, लाभ में- समता रखो! हमने उनसे क्या सीखा? इसलिए अपने आपको यथासम्भव स्थिर रखने की कोशिश करते रहना चाहिए।

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