Whatsapp पर गुरुओं की निंदा का दुष्फल!

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शंका

Whatsapp पर गुरुओं की निंदा का दुष्फल!

समाधान

यह Whatsapp बहुत गंदा काम करता है और मैं तो कहता हूँ कि Whatsapp से धार्मिक अकाउंट को हटा देने में ही फायदा है। क्योंकि इस Whatsapp के माध्यम से आजकल नकारात्मक प्रचार ज्यादा हो रहा है, सकारात्मक प्रचार कम। इससे समाज में अनेक प्रकार की विषमताएँ भी जन्म लेने लगी हैं और लोगों में भी एक बड़ी कमज़ोरी है कि किसी भी सामग्री को, किसी Message (सन्देश) को जांचे-परखे बिना फॉरवर्ड कर देते हैं। कोई भी बात आई, आपने फॉरवर्ड कर दिया, बहुत बड़ी कमी है, इससे रुकना चाहिए। आपकी अगर किसी के प्रति श्रद्धा है, जी भर के प्रशंसा करें, लेकिन उस प्रशंसा की ओट में किसी की आलोचना करते हो तो यह महान पाप है। गुरु का भक्त बनो, अपने गुरु को श्रेष्ठ साबित करने के मोह में अन्य किसी को अश्रेष्ठ या नीचा दिखाने की प्रवत्ति करना बड़ा नीच कर्म है, निंद कर्म है, इससे बहुत पाप का बंद होता है।

कल सुगन्ध दशमी थी, आप सुगन्ध दशमी व्रत की कथा को पढ़िए। एक रानी ने मुनि महाराज के तिरस्कार के भाव किये, उन्हें अपमानित करने का भाव किया और अपमानित करने के ख्याल से उन्हें कड़वी लौकी दे दी। महाराज जी की असमय समाधि हो गई, लेकिन इसके बाद उस रानी की कितने जन्मों में दुर्गति हुई। वह कुत्ती बनी, गधी बनी, शूकरी बनी और अन्त में चाण्डालिन बनी और दुर्गन्धा बनी। बाद में जब व्रत-संयम अंगीकार किया तो अपने जीवन की उन्नति की। बेवजह ऐसा क्यों?

मैं एक बात और आप सब से कहना चाहता हूँ, कभी किसी साधु से किसी साधु की तुलना मत करो। यह तुलना करने की क्या जरूरत है? हर साधु अतुल है। पंच परमेष्ठी में जिसका स्थान है उससे बड़ा कौन होगा? तुलना करके लोग अपनी क्षुद्र मानसिकता का परिचय देते हैं। मैं ऐसे लोगों को अपने पास बिल्कुल फटकने नहीं देता जो मेरी प्रशंसा करते हुए मुझसे किसी और की तुलना करते हैं। मुझे मालूम है कि आदमी अभी मेरी प्रशंसा करके मेरी तुलना किसी और से कर रहा है, दूर किसी और के पास जाएगा तो उसकी तुलना मुझसे करेगा। ऐसे लोग धर्मी नहीं होते। गुण ग्रहण करो, इस तरह के नापतोल करने से तुम्हें कोई लाभ होने वाला नहीं है। तुम यह देखो तुम कौन हो और कहाँ हो? तब जीवन का कल्याण होगा यह कर्म कुकर्म है, इससे बचना चाहिए।

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