आरती के दीपक से भी जीव हिंसा होती है फिर दीप क्यों जलाएँ?

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शंका

कहा जाता है कि- ‘जीवों की रक्षा करें।’ भगवान की आरती करने के लिए १०-१० थालियाँ बनायी जाती हैं, आरती तो एक दीपक से भी हो सकती हैं या फिर भाव से भी हो सकती है?

समाधान

एक दीपक से भी हो सकती है लेकिन एक दीपक से दो लोग करेंगे, दस लोग करेंगे। पर जब सौ आदमी होंगे तो दस आदमियों के बीच में तो एक चाहिए ही। आपने पूछा ‘भाव से नहीं हो सकती है क्या?’ तो फिर तो एक भी दीपक नहीं जलाना चाहिए, वो भी भाव से कर लो, सारा धर्म का कार्य भाव से कर लो । 

मैं आपसे एक सवाल करता हूँ कि आपके हाथ में जब आरती की थाल होती है, उस समय के भाव और एक तरफ खड़े होकर जब आप दर्शक दीर्घा में शामिल होते हो, उस जगह के आपके भाव क्या समान होते हैं? नहीं होते हैं। सवाल का उत्तर खुद आपके पास है। जब सामूहिक रूप से इस तरह का कार्यक्रम होता है, तो उस हिसाब से होना चाहिए लेकिन विवेकपूर्वक उस दीपक में उतना ही घी डालें कि आप लोगों की आरती होने के बाद वो स्वतः ही खत्म हो जाए।

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