जो व्यक्ति छठे गुणस्थान से लेकर ग्यारहवें गुणस्थान तक, मेहनत करके जाता है, उसके कौन-से भावों या मन के परिणाम से वह वहाँ से गिरकर पहले गुणस्थान आ जाता है?
डॉक्टर के द्वारा जब एनेस्थीसिया दिया जाता है तो क्या होता है? शरीर में ब्लड सरकुलेशन (रक्त संचरण) तो होता है, पर अंगों में सेंसेशन (संवेदन) नहीं होता। वह भी एक पर्टिकुलर टाइम (निश्चित समय) के लिए रहता है। तो वे जो ग्यारहवें गुणस्थान में गए हैं, उन्होंने अपने कर्म को निष्क्रिय किया है, निःशेष नहीं किया। तो उन्होंने उतनी देर के लिए कर्म के प्रदेशों को निष्क्रिय कर दिया- यानि एक प्रकार का लोकल एनेस्थीसिया हुआ। जितनी देर के लिए उसमें निष्क्रियता थी, निष्क्रिय हुए; अब वो कर्म वापस सक्रिय हो गया। जैसे-जैसे कर्म सक्रिय हुआ, उनकी आत्मा नीचे आ जाती है। तो यह बुद्धिपूर्वक नहीं है, पुरुषार्थ की कमी का परिणाम है।
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