शंका
मेरी फ्रेंड पूछती है कि ‘हम तुम्हारे भगवान् के दर्शन करते हैं, तुम हमारे भगवान् के दर्शन क्यों नहीं करते?
समाधान
उसको कहो, “हम ‘हमारे-तुम्हारे’ भगवान के दर्शन नहीं करते, हम तो केवल ‘भगवान’ के दर्शन करते हैं। भगवान कौन है? जो वीतरागी है। हम वीतरागी का सम्मान करते हैं वीतरागी रूप में तुम जिन्हें भी स्थापित कर दो हम उनकी वन्दना करने के लिए तैयार हैं।”
उनको कहो “देखो हम ‘हमारी-तुम्हारी’ की बात कैसे नहीं करते।” मेरी भावना की ४ लाइन बोलो, हमारी प्रार्थना का मूल ही यह है हम उन सब की वन्दना करते हैं –
जिसने राग द्वेष कामादिक जीते सब जग जान लिया।
सब जीवों को मोक्ष मार्ग का निस्पृह हो उपदेश दिया।।
बुद्ध-वीर-शिव-हरि- हर-ब्रह्मा या उसको स्वाधीन कहो।
भक्ति भाव से प्रेरित हों, ये चित उसी में लीन रहो।।
ये उत्तर उसको दो समाधान उसको मिलेगा
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