किसी भी मूर्ति को बिना प्राण प्रतिष्ठा किए, घर में या घर के मन्दिर में स्थापित नहीं करना चाहिए। पर एक साधु की मुद्रा वाली मूर्ति हमारे घर के मन्दिर में रखी हुई है, तो यह क्या गलत है?
किसी भी पूज्य प्रतीक को बिना प्रतिष्ठा के घर पर रखना उचित नहीं। जहाँ तक श्रद्धा का मामला है वो एक अलग चीज है।
एक बार एक घटना हुई, मैं मन्दिर में भगवान के दर्शन कर रहा था। भगवान की वेदी के बाजू आचार्य गुरुदेव की तस्वीर लगी हुई थी। एक युवक आया और भगवान को तो देखा नहीं, पर गुरुदेव के चरणों में एकदम अपना सिर रखकर भाव-विहल हो गया। मुझे कुछ अटपटा लगा, दर्शन उपरान्त मैंने उससे कहा कि ‘भैया तस्वीर के दर्शन नहीं करना चाहिए, हमारे यहाँ इसका निषेध है।’ उसने कहा ‘महाराज! हमें तस्वीर दिखती नहीं, हमें तो सीधे गुरुदेव दिखते हैं तो हम से रहा नहीं जाता, तो हम क्या करें?’ इसका उत्तर मैं नहीं दे पाया, ये भावना है।
लेकिन हमने कोई पूज्य प्रतीक रखा और बिना प्रतिष्ठा के रखा तो कभी-कभी उसमें नकारात्मक शक्तियों के प्रवेश की सम्भावना होती है। परम पूज्य प्रतीक को रखें और उसकी पूजा-अर्चना भी ठीक ढंग से न करें तो अविनय भी हो जाता है। इसलिए जो हमारा विधि-विधान है, उसी के अनुरूप सारा कार्य करना चाहिए।
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