क्या देवी-देवता हमारी रक्षा करते हैं?

150 150 admin
शंका

हम सुनते हैं कि देवी-देवता रक्षा करने आते हैं और कई जगह देखते हैं-जैसे पद्मप्रभु जी में-इंसानों में भी आते हैं और वो बहुत परेशान होते हैं। क्या ऐसा सही में होता है और क्यों होता है? वो अपना स्थान छोड़ के आते हैं तो क्या उसका उन्हें दोष लगता है?

समाधान

देवी-देवता रक्षा करने आते हैं ऐसा हम लोग सुनते हैं। पर मुझे समझ में नहीं आया कि जब सात सौ मुनियों पर उपसर्ग हो रहा था तो देवी-देवता कहाँ सो रहे थे? पारसनाथ भगवान के ऊपर भी जब ७ दिन तक उपसर्ग चलता रहा तो धरणेन्द्र की नींद क्यों नहीं टूटी, सोचनीय है। 

ध्यान रखना, कोई हमारी रक्षा करता है ये बहुत बाद की बात है। सच्चाई तो ये है कि हमारी कोई रक्षा कर ही नहीं सकता है। ये निमित्त-नैमित्तिक सम्बन्ध है। हर जीव का संरक्षक उसका अपना पुण्य है। हमारा सम्पूर्ण जीवन हमारे पुण्य-पाप से संरक्षित होता है। अगर देवी-देवता हमारी रक्षा करते हैं तो रावण की बहुरूपिणी विद्या उसे कहाँ ले गई, क्यों नहीं रक्षा की? रावण विद्याधर था, हजारों विद्यायें उसे प्राप्त थी। कंस की कात्यायनी विद्या उसके काम क्यों नहीं आई? हमें समझना चाहिए। ये विद्या, मन्त्र आदि का अपना प्रभाव होता है लेकिन ये तभी तक अपना काम करते हैं जब तक पुण्य का साथ होता है। पुण्य क्षीण होने पर कोई काम नहीं आता। इसलिए इस प्रकार की बातों पर हमें भरोसा नहीं करना चाहिए। 

हमें अपने आप के ऊपर भरोसा रखना चाहिए। परावलम्बी हमें नहीं बनना चाहिए, आत्मज्ञानी बनकर स्वावलंबन का जीवन जीना चाहिए। जीवन में आए हुए संकटों से घबराना नहीं चाहिए, अपनी आत्मशक्ति को जागृत कर दृढ़ता से उसका सामना करना चाहिए। अगर हम ऐसी सामर्थ्य अपने भीतर विकसित करेंगे तो जीवन में कभी दुखी नहीं बनेंगे। और यदि ये सामर्थ्य नहीं है, तो हमारा सम्पूर्ण जीवन एक भिखारी की तरह बीतेगा। हम भिखारी की तरह जीवन न जियें, हम एक अधिकारी की तरह जीवन जियें। हम सुख के अधिकारी हैं, हमारा सुख हमारे भीतर है, किसी के ऊपर निर्भर नहीं है। आपने पदमपुरा आदिक में बोला, इस तरह की स्थितियाँ होती है लेकिन अभी तक ये सब बातें पूरी तरह सत्यापित नहीं हो पाई कि ये दैविक प्रक्रिया है या कुछ साइकोसोमेटिक डिजीज का प्रभाव है, कुछ दूसरे तरह के लक्षण है। पूर्वज होते हैं तो ठीक है, सापानुग्रह शक्ति देवों में होती है, वो विचरण करते हैं लेकिन मेरी मान्यता है कि मन के भूत से बड़ा कोई बड़ा भूत नहीं होता। इसलिए मन को सम्भाल कर रखो, सब शान्त हो जाएगा।

Share

Leave a Reply