शंका
कर्मों की निर्जरा विधान, जाप व आरती से ज्यादा होती है या उपवास से?
समाधान
हमारे यहाँ एक श्लोक आता है,
पूजा कोटि समम् स्तोत्रम समम् जपः जप कोटि,
समम् ध्यानम् ध्यान कोटि समम् क्षमा।
एक करोड़ पूजा करो और एक स्तोत्र का पाठ करो बराबर है। एक करोड़ स्तोत्र का पाठ करो और एक जाप करो बराबर है। एक करोड़ जाप करो और एक बार ध्यान करो बराबर है और एक करोड़ ध्यान करो और एक को क्षमा प्रदान करो बराबर है। ये क्षमा की महिमा कहते हुए नीति कारों ने बताया कि पूजा से स्तोत्र पाठ में एकाग्रता, स्तोत्र पाठ से जाप में और जाप से ध्यान में अधिक एकाग्रता और भाव तल्लीनता है। आपके कर्मों की निर्जरा उसी से अधिक होगी।
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