शंका
हाथ से व भाव माला जाप देने या सोने की माला से जाप देने से अथवा किसी साधु के द्वारा मन्त्रित माला के जाप देने से, इनमें से किससे कर्मों की निर्जरा ज्यादा होती है, किससे लाभ ज्यादा होता है?
समाधान
जिस जाप में आपके मन में एकाग्रता ज्यादा होती है, कर्मों की निर्जरा उससे ज्यादा होती है। निर्जरा तब होगी जब आप जाप करोगे। और जाप करने का मतलब है कि उसमें एकाग्र होकर लीन होना। बस वही जपना जिसमें एकाग्रता हो जाये, आपका काम हो जायेगा और एक बात ध्यान रखना “कर का मनका डारि के मन का मनका फेर” तो मन के मनके को फेरना है। तो ये अपने प्रयास में होना चाहिए। एकाग्रता बढ़ायें। माला के विषय में बताया गया है कि स्वर्ण, रत्न, काष्ठ और सूत की माला अच्छी मानी जाती है। काष्ठ की माला अच्छी मानी जाती है। काँच आदि की माला को प्रशस्त माला के रूप में नहीं लेना चाहिये।
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