शंका
क्या वीतरागी भगवान के सामने नृत्य करना सही है?
समाधान
भगवान के समक्ष भक्ति व नृत्य करना भगवान को रिझाने के लिए नहीं है| यह हमारे अंदर के भाव- तरंग की अभिव्यक्ति है और यह भी एक भक्ति का अंग है इसमें भी कर्मों की निर्जरा होती है। भगवान की भक्ति कोई गाकर, कोई शब्द बोलकर, कोई अपने हाव-भाव से प्रकट करता है तो भगवान के समक्ष तो सभी इन्द्रगण भी भक्ति करते है, नृत्य करते है,आनंद उल्लसित होता है जिसको देख कर मन नाच उठे उसका नाम भक्ति है, इसलिए इसमें कोई दोष नहीं पर इसमें मर्यादा का हनन नहीं होना चाहिए, फूहड़पन नहीं होना चाहिए। सात्विकता के साथ अपने हाव-भाव की अभिव्यक्ति ही सही नृत्य है, वस्त्र आदि भी ऐसे नहीं होने चाहिए जिससे हमारे शरीर के अंगों का प्रदर्शन होने लगे।
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