अनुष्ठान में मंत्र का जाप सांयकाल के बाद क्यों नहीं कर सकते?
सामान्य जाप और विशेष जाप अलग होता है। आप णमोकार मंत्र को कभी भी पढ़ सकते हैं खाते-पीते, उठते-बैठते, चलते-फिरते, सोते-जागते कभी भी पढ़ सकते हैं, उसका अपना प्रभाव है। लेकिन जब आपको कोई विशेष अनुष्ठान करना होता है, तो उसके लिए वैसी ही भावधारा होनी चाहिए, वैसी ही विशुद्धि चाहिए और वैसी विशुद्धि का वैसा ही परिणाम होता है। तो उस घड़ी में अनुष्ठान का अनुष्ठान की तरह ध्यान रखना चाहिए। वहाँ किसी भी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा का संचार न हो, इसलिए विशुद्धि रखी जाती है। आप जितनी शुद्धता के साथ किसी धार्मिक अनुष्ठान को करेंगे, आपके अंदर की एकाग्रता उतनी बढ़ेगी और आपकी जितनी एकाग्रता बढ़ेगी, आपका मन लगेगा, जितना मन लगेगा, उतना कर्म कटेगा।
सारे धार्मिक अनुष्ठान, पूजा विधान आदि अनुष्ठान मूलक कार्यक्रम होते हैं। ऐसे सारे कार्यक्रम दिन में ही संपादित होते हैं, रात्रि में नहीं। तो आप यह अनुष्ठान कर रहे हैं, मात्र जाप नहीं। जाप को अनुष्ठान की विधि से करें। किसी भी अच्छे कार्य को आप जितनी उत्तम विधि से करेंगे, आपको उसका उतना ही उत्तम फल मिलेगा। इसलिए शुद्धि और समय का बन्धन दोनों बहुत अच्छे से ध्यान में रखना चाहिए।
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