शंका
भगवान न तारते हैं, न मारते हैं!
समाधान
चालीसा भक्ति में लिखी गई है और भक्ति में ऐसा कहा जाता है कि भगवान ने हमें तारा। भगवान न किसी को तारते हैं, न भगवान किसी को मारते हैं। भगवान तो केवल निमित्त हैं।
तारने और मारने में हमारे शुभ-अशुभ कर्म ही निमित्त बनते हैं। पर भक्ति में ऐसा कहा जाता है कि “आपने मेरा उद्धार कर दिया, आपने मुझे तार दिया, आपके निमित्त से मेरा उत्थान हो गया”। यह भक्ति की अभिव्यक्ति है।
अंजना के जीवन में आपत्ति आयी और अंजना ने धर्म की शरण ली, तो हम यह कह देते हैं – ‘भगवान के निमित्त से हमारा ऐसा हुआ।’ सीता के उपर आपत्ति आयी, सीता ने धर्म की शरण ली तो हम कह देते हैं – ‘भगवान के निमित से हुआ।’ भगवान तो केवल बाहर के निमित्त हैं, अन्तरंग निमित्त तो हमारा अपना परिणाम हैं।
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